जाति आरक्षण हटाओ देश के गद्दारो से देश बचाओ
भारत में आरक्षण को लागु करने का महत्वपूर्ण कारण था कि कुछ निम्न वर्ग की गरीब जातियों को आर्थिक सामान्य स्थिति पर लाना था जो भारत का संविधान लागु होने के 10 साल के लिए था । लेकिन राजनीति पार्टियों ने इसे वोट पाने का हथियार बना लिया जिस से आज तक आरक्षण निति से सामान्य वर्ग को आर्थिक स्थिति से जूझना पड़ रहा है।जिस लक्ष्य के लिए आरक्षण नीति को लागू किया था वो लक्ष्य तो आज तक पूरा नहीं हो सका,तो इसका ना होना ही बेहतर होगा, क्योंकि जिन वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान हुआ था, वो अभी भी उसी स्थिति में है जहां वो सत्तार सालों पहले थे । अगर आरक्षण को सही रूप से क्रियान्वित किया गया होता तो शायद अब तक ये खत्म हो गया होता, लेकिन आरक्षण को वोट बैंक का आधार बना दिया गया है, और सिर्फ चुनिंदा जातियां ही इसका पूरा फायदा उठा रही है,और जब भी आरक्षण की समीक्षा या खत्म करने के लिए चर्चा मात्र होती है, तो वर्षों से लाभ ले रहीं जातियों के लोग और उनके नेता लोग शोर - शराबा शुरू कर देते हैं।
"आरक्षण का फायदा तो निम्न जाति के आमिर लोग उठा रहे हैं निम्न वर्ग के गरीब को मिला क्या ? कुछ भी नहीं। आरक्षण को सभी जाति के गरीबो के लिए करना चाहिए तभी हिंदुस्तान पूर्ण विकसित और स्वालंभी बन पायेगा "
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जातिगत आरक्षण का सबसे ज्यादा खामियाजा सामान्य वर्ग के युवाओं को भुगतना पड़ता है क्यूंकि अच्छे कॉलेजों में दाखिले के समय सामान्य वर्ग के छात्रों द्वारा 85% अंक लाने के वाबजूद उन्हें दाखिला नहीं मिलता। ऐसा ही भेदभाव जब भी होता है जब समान्य वर्ग का व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करता है । सामान्य वर्ग से Rs.100-Rs.500-Rs.1000 रूपये लिए जाते हैं लेकिन अरक्षित वर्ग बिलकुल मुफ्त में आवेदन कर सकते हैं। ये भारत में सबसे बड़ा अन्याय है ।
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